घट रही ‘धर्म में दिलचस्पी’! कौन है नास्तिक और कौन आस्थिक, जानते है सर्वे के अनुसार

Written by News Desk

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घट रही ‘धर्म में दिलचस्पी’! कौन है नास्तिक और कौन आस्थिक, जानते है सर्वे के अनुसार, भारतीय धार्मिक सहिष्णुता को राष्ट्रीय स्तर पर अपने अस्तित्व के केन्द्रीय तत्व के रूप में देखते हैं। मुख्य धार्मिक समूहों में अधिकांश लोग कहते हैं कि “सच्चा भारतीय” होने के लिए सभी धर्मों का सम्मान करना बहुत जरूरी है। और सहिष्णुता धार्मिक होने के साथ नागरिक मूल्य है: भारतीय इस दृष्टिकोण पर एक हैं कि अन्य धर्मों का सम्मान करना उनके अपने धार्मिक समुदाय का सदस्य होने का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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सर्वे बताता है कि भारतीयों की धर्म में आस्था घट रही है देश में सांप्रदायिक हिंसा को बड़ी समस्या के रूप में देखने वाले अन्य धार्मिक समुदायों की तुलना में सिक्ख धर्म के लोगों की संभावना अधिक है। 65% हिंदुओं और मुसलमानों की तुलना में, दस में से लगभग आठ सिक्ख (78%) सांप्रदायिक हिंसा को प्रमुख मुद्दे का दर्जा देते हैं। कई लोगों का भगवान में यक़ीन नहीं है और वो ख़ुद को धार्मिक नहीं मानते.

हालांकि ख़ुद को पूरी तरह नास्तिक कहने वालों की तादाद में गिरावट आई है. जहां भारत के 87 फ़ीसदी लोगों ने ख़ुद को धार्मिक बताते है सर्वे के मुताबिक़ 13 फ़ीसदी भारतीयों का कहना है कि वो धार्मिक है भारत की विशाल जनसंख्या विविध होने के साथ-साथ धर्मनिष्ठ भी है। न केवल दुनिया के अधिकांश हिंदू, जैन और सिक्ख भारत में रहते हैं, बल्कि यह दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी में से एक और लाखों ईसाइयों और बौद्धों का घर भी है।

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क्या ग़रीबों का है कोई धर्म

सर्वे से एक रोचक बात कि कम पैसा कमाने वाले लोगों में अभी भी धार्मिकता बची हुई है.ऐसे लोग बाक़ी लोगों के मुकाबले 17 फ़ीसदी ज्यादा धार्मिक मिले. जिन देशों में समृद्धि बढ़ी है वहां धर्म के प्रति लोगों का झुकाव भी बड़ा है.इन साझा मूल्यों के साथ कई मान्यताएं जुड़ी हैं जो धार्मिक सीमाओं से परे हैं। भारत में न केवल अधिकांश हिंदू (77%) कर्म में विश्वास करते हैं, बल्कि उतने ही प्रतिशत मुसलमान भी कर्म में विश्वास करते हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आस्तिकता में नौ फ़ीसदी गिरावट आई है तो नास्तिकता में तीन फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है. सर्वे में यह स्पष्ट तौर पर निकलकर आया कि ख़ुद को धार्मिक कहने-मानने वालों का प्रतिशत बड़ी तेज़ी से घट रहा है पांच महाद्वीपों के 57 देशों में कुल 51 हजार 927 लोगों से बात की गई.हर देश में कम से कम एक हज़ार पुरुषों-महिलाओं से सवाल पूछे गए.धार्मिक आस्था के बारे में बात की जाती है.किसी भी सर्वे से ये नहीं पता चलता की कौन कितना आस्थिक है कौन कितना नास्तिक है।

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