इस शिव मंदिर के त्रिशूल और सरोवर का सच, क्यों होता है जलाभिषेक मंदिर सरोवर से ही, जानिए हमारे साथ

Written by News Desk

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इस शिव मंदिर के त्रिशूल और सरोवर का सच, क्यों होता है जलाभिषेक मंदिर सरोवर से ही जानिए हमारे साथ, मंदिरों से जुड़े रहस्य के बारे में आपने बहुत सुना होगा शायद देखा भी होगा. लेकिन आज हम आपको एक अनोखे शिव मंदिर की कहानी बताने जा रहे हैं जिसे पढ़ कर आपको हैरानी होंगी जानिए क्या है सच्चाई

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शिव जी ने स्वप्न दिया दर्शन

इस मंदिर में एक ऐसा तालाब भी स्थित है. जिसके बारे में लोगों की मान्यता है की इस मंदिर में भारत के सभी तीर्थों,नदियों का जल लाकर डाला गया था. जिससे भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है. यहां आने वाले सभी भक्त इसी जलाशय से जल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. इस मंदिर में भक्तों की अटूट आस्था है.रायबरेली जनपद के लालगंज तहसील अंतर्गत बाल्हेमऊ गांव में स्थित बाल्हेश्वर महादेव जी का यह मंदिर बहुत ही पुराना है यहां के लोगों का मानना है कि इस मंदिर के गुंबद पर लगा त्रिशूल सूर्य की किरणों के साथ इस त्रिशूल का परिवर्तन होता है यहां पर भक्तों की अटूट आस्था है. इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग जमीन के नीचे से प्रकट हुआ है, जिसके बारे में शिव जी ने क्षेत्र के एक शख्स को स्वप्न दिया था.

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मंदिर की कथा

इस मंदिर का शिवलिंग खुदबा खुद यहाँ प्रकट हुआ है . इसे स्थापित नहीं किया गया है. लोग बताते हैं कि यहां पर पहले बहुत ही बड़ा जंगल हुआ करता था. जहां पास के गांव के ही गाय चरने आया करती थी. जो गाय यहां चरने आती थी उन्हीं में से एक गाय ने दूध देना बंद कर दिया तो गाय स्वामी को चिंता हुई कि आखिर गाय का दूध कौन चोरी करता है. तब उस गाय के मालिक ने देखा की गाय एक जगह जाकर रुक जाती है वहाँ एक पत्थर रखा है वो देखता है की पत्थर कुछ गिला है तब उसे समझने में जरा भी देर नहीं लगती की उस गाय का दूध कहा जाता है तब से यह पत्थर शिवलिंग के तौर पर यहाँ पूजा जाने लगा

जानिए मंदिर से जुडी पूरी जानकारी

  • इस मंदिर में दुर्गा मंदिर भी है. नवरात्रि के दिनों में दर्शन करने मात्र से सभी मन्नते पूरी होती हैं. इसीलिए यहां पर नवरात्रों दिनों में काफ़ी भीड़ देखने को मिलती है.कहा जाता है कि बालेश्वर मंदिर के ऊपर गुम्मद पर लगा त्रिशूल दिनभर सूर्य की गति के साथ साथ अपने स्थान पर घूमता है. दूर दूर तक इस मंदिर की बहुत मान्यता है.
  • यह मंदिर पुराणिक समय का मंदिर बहुत ही पुराना है.उसके बाद से ही भगवान शिव का जलाभिषेक शुरू हुआ था तब से लेकर आज तक यहां पर आने वाले सभी भक्त इसी जलाशय से जल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं.यहाँ जल अभिषेक करने से सभी की मनोकामना भी पूर्ण होती है यहां पर हर सोमवार भक्तों अधिक भीड़ रहती है.
  • सावन और महाशिवरात्रि के मौके पर मंदिर एक में विशाल मेला का आयोजन किया जाता है, जिसमें क्षेत्र के अलावा दूर-दूर से लोग आते हैं शिव की पूजा करने के के लिए और सुरक्षा व्यवस्था के भी यहाँ कड़े इंतजाम किए जाते हैं.

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