फागुन के माह में पड़ने वाली है स्कंद षष्ठी जाने उसके व्रत और शुभ महूर्त के बारे में

Written by Karara Jawab

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फागुन के माह में पड़ने वाली है स्कंद षष्ठी जाने उसके व्रत और शुभ महूर्त के बारे में, इस साल पड़ने वाली फागुन के पवित्र महीने में पड़ रही है और यह एक प्रकार से तमिल पर्व है और इस भगवान शिव के पुत्र की पूजा की जाती है और इस व्रत रखा जाता है और और दक्षिण भारत में में इस त्यौहार का बड़ा महत्व और भक्ति भाव के साथ माने जाता है और यह दक्षिण भारत में अति महत्वपूर्ण माना जाने वाला स्कंद षष्ठी का व्रत प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन किया जाता है, जो कि आज है. स्कंद षष्ठी को कन्द षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के बड़े पुत्र कार्तिकेय जी को समर्पित है. दक्षिण भारत में कार्तिकेय जी को स्कंद के नाम से पूजा जाता है. आज के दिन पूरे विधि विधान के साथ कार्तिकेय जी का व्रत और पूजन किया जाता है. माताओं के लिए आज का व्रत रखने का विशेष महत्व माना जाता है

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यहा से जाने स्कंद षष्ठी व्रत और समय के बारे में :-

यह त्यौहार स्कन्द षष्ठी का व्रत फागुन माह की शुकल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है और यह हमारे हिन्दू पंचांग के अनुसार यह रात में १४ तारीख को 11 बजकर 26 मिनिट पर शुरू हो गया है और यह आज सूर्य उदय में 15 मार्च तक समापन हो जयेगा तो इसलिए इस व्रत को रखने का सही समय 15 मार्च को रखा गया है और आज का व्रत महिलाओं के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और हिन्दू धर्म की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आज के दिन महिलाएं संतान की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं. संतान प्राप्ति की इच्छा के लिए भी स्कंद षष्ठी व्रत रखना बहुत ही शुभ और फलदायी माना जाता है.

जाने स्कंद षष्ठी का महत्व :-

हमारी हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस व्रत को शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन फागुन माह में मनाया जाता है क्योकि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर नाम के राक्षस का वध किया था.और जब से ही इस दिन कार्तिकेय जी की विजय के उपलक्ष्य में इस दिन स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाने लगा. और ऐसी मान्यता है कि, स्कंद षष्ठी यानी आज के दिन भगवान कार्तिकेय का विधि विधान के साथ व्रत और पूजन करने से साधक शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है. और जीवन में चल रही समस्याओं से भी छुटकारा मिल जाता है.

आप यहाँ से जान सकते हैं स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा विधि :-

वैसे इस व्रत को करना बहुत ही आसान है और इस व्रत को रखने वाले लोगो की सारी मनोकामना पूरी होती है और इस व्रत सभी व्रत को जैसे रखा जाता उसी प्रकार से रखना होता है और इसलिए आपको क्या करना है की उन इस दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रिया के बाद घर की साफ सफाई की जाती है और इसके बाद स्नान करें और धुले हुए साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. और इसके बाद स्कंद षष्ठी का व्रत करने का संकल्प करें. अब पूजा स्थल या घर के मंदिर की अच्छे से साफ सफाई करें और स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय के साथ उनके माता पिता भगवान शिव और माता पार्वती का भी पूजन करने की परंपरा है.और इसलिए स्कंद षष्ठी के दिन संपूर्ण शिव परिवार की पूजा करनी चाहिए, इसके लिए आज के दिन पूजा के लिए ऐसी तस्वीर या प्रतिमा रखें जिसमे सम्पूर्ण शिव परिवार हो.और अब दीपक और धूप जलाकर पूजाको करना शुरू कर दे और इसके बाद सभी को फल, फूल, सिंदूर, अक्षत और मौली को चढ़ाये और फिर मिठाई का भोग लगाएं और व्रत को रखे और उसके बाद व्रत की कथा को पढ़ें और फिर कथा होने बाद आरती करें और भगवान से पूजा के दौरान होने वाली गलतियों के लिए क्षमा याचना करें. इसके बाद भोग को प्रसाद के रूप में घर के सभी सदस्यों में बांट दें.

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