Kheti Kisani: गर्मियों में यह फसल किसानो को बना सकती है मालामाल, कम लागत में होता है शानदार मुनाफा, भारत में उगाई जाने वाली फसल दलहनी फसल में से यह प्रमुख फसल है और इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है और मूंग की जल्दी पकने वाली एवं उच्च तापमान को सहन करने वाली प्रजातियों के विकास के कारण जायदा में मूंग की खेती लाभदायक हो रही है। और इसकी मार्किट में अच्छी खासी मांग में रहती है जिससे किसानो को अच्छा मुनाफा मिलेगा।
जाने इसे बोने का सही समय
यह पर आपको इस फसल को सही समय के बारे में बताते है और इस फसल की खेती गर्मी में गेहू की कटाई के बाद किया जाता है और इसकी खेती मार्च से अप्रेल के महीने हो जाना चाहिए और ग्रीष्मकाल में मूंग की खेती करने से अधिक तापमान तथा कम आद्र्रता के कारण बीमारियों तथा कीटों का प्रकोप कम होता है और परंतु इससे देरी से बुआई करने पर गर्म हवा तथा वर्षा के कारण फल्लियों को नुकसान होता हैं। अप्रैल में शीघ्र पकने वाली प्रजातियों को लगाना उत्तम होता है ।
कैसी होना चाहिए इसकी मिटटी
इस फसल की खेती करने के लिए रेतीली और काली कपास वाली मिटटी होनी चाहिए और इसकी खेती के लिये अच्छे जलनिकास वाली दोमट मृदा सर्वोत्तम होती है और क्षारीय एवं अम्लीय भूमि मूंग की खेती के लिये उपयुक्त नहीं होती है। जायद की फसल के लिये पलेवा देकर खेत की तैयारी करनी चाहिये। 2-3 जुताई देशी हल से करने के बाद पाटा लगाना चाहिये जिससे मृदा भुरभुरी हो जाये और भूमि में नमी संरक्षित रहे।
जाने बुआई का तरीका
यह पर आपको हरे मुंग की खेती में बुआए करने के सही तरीके को बताते है जैसे मूंग को 25-30 सेमी कतार से कतार तथा 5-7 सेमी पौधे से पौधे की दूरी पर बुआई करें एवं बीज को 3-5 सेमी गहराई पर बोना चाहिये जिससे अच्छा अंकुरण प्राप्त हो सके और बीज को उपचारित भी किया जाता है और ग्रीष्मकालीन मूंग की बुआई हेतु 20-25 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से पर्याप्त होता है और इस फसल में सामान्य रूप से मूंग की फसल में 15-20 किलोग्राम नत्रजन, 40-60 किलोग्राम स्फुर तथा 20-30 किलोग्राम पोटाश एवं 20 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें और सभी उर्वरकों को बुआई के समय डालना चाहिये ।
जाने इसकी सिचाई का प्रबधन
इसकी खेती में कम से कम 4 से 5 सिचाई की जरुरत होती है और अगर किसी खेती की भूमि भरे हो तो उस ख़त्म में 2 से 3 पानी की जरुरत होती है और यह ध्यान रखना आवश्यक होता है कि शाखायें बनते समय तथा दाना भरते समय भूमि में नमी पर्याप्त रहे। और फसल में पहली सिंचाई के पश्चात् हाथ से निंदाई करके खरपतवार को निकालें दूसरी निंदाई फसल में आवश्यकतानुसार की जा सकती है।
जाने इसकी कटाई और भंडारण
यहा अगर मुंग की फसल की पकने की बात की जाये तो जब मूंग की कुछ प्रतिशत फलियां परिपक्व हो जायें तब फसल की कटाई कर लेना चाहिए और अधिक पकने पर फलियां चटक सकती हैं जिससे दाना झड़ कर जमीन पर गिर जाता है और अत: कटाई समय पर किया जाना आवश्यक होता है। और कटाई उपरांत फसल को गहाई करके बीज को 9 प्रतिशत नमी तक सुखाकर भंडारण करें।
इस खेती से मुनाफा
अगर यह पर इस खेती को करने से मुनाफा की बात की जाये तो गर्मी के सजनी की मग का मार्किट में अचछी कीमत मिल जताई है क्योकि मार्केट हरे मुंग परती किवंटल 7000 से 8000 बिकती है तो किसानो को इसकी को करने में मुनाफ मिलता है