Kheti Kisani: किसानों की खाली झोली भर देगी यह खेती, ट्रक भरकर निकलता है माल, यहां पर ऐसी कहती के बारे में बताने जा रहे है जिसे अधिकतर घरो में सलाद के रूप में उपयोग किया जाता है और इस सब्जी को मैदानी भागो में लगाया जाता है और इसका सेवन करने से ह्रदय रोग, कैंसर, उच्च रक्तचाप और सूजन में बहुत लाभप्रद माना जाता है और शलजम में मौजूद विटामिन C शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है और हमारे शरीर को अच्छा बनता है और इसमें शलजम को एंटी-ऑक्सीडेंट, मिनरल और फाइबर का बहुत अच्छा स्रोत माना गया है
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करे इस तरह से शलजम की खेती
इस आर्टिकल में हम आपको शलजम की खेती को करने के बारे में बात कर कर रहे है और जिसके लिए आपको बलुई और रेतीली मिटटी की जरुरत होती ही और अगर आपके खेत की मिट्टी चिकनी और कड़क हुई तो शलजम की फसल में पैदावार अच्छी नहीं होगी और ये एक जड़ वाली फसल है और इसे जमीन के अंदर उगाई जाती है। तो इसके लिए मिट्टी का नरम और रेतीला होना बहुत आवश्यक है. शलगम की खेती को इसकी जड़ों और पत्तों के लिए की जाती है।
देखे इसकी खेती का सही समय
इसकी खेती को करने केलिए सही समय सितम्बर से अक्टूबर और पहाड़ी इलाकों में जुलाई से अक्टूबर तक की जाती है। इसकी बुवाई बेहतर होगी। अगर आलू की तरह मेंड़ बना कर की जाये. और अन्यथा की स्थिति में बिना मेंड़ के भी हम इसकी बुआई कर सकते है।
देखे इसकी विभिन्न प्रकार की किस्मे
इसमें ऐसी डॉकिसमे होती है जो की जल्दी उपज देने वाली होती है और इन्हे जल्द ही तैयार किया जाता है और यह लाल और सफ़ेद किस्मे होती है और इन्हे लाल किस्म को अधिकतर शरद ऋतु में लगाया जाता है। जड़ें गोल, लाल तथा मध्यम आकार की होती हैं जो लगभग 60 से 70 दिन में पूरी तरह से तैयार हो जाती है। और सफेद-4 को अधिकतर वर्षा ऋतु में लगाया जाता है। यह शीघ्र तैयार होती है तथा इसकी जड़ों का रंग बर्फ जैसा सफेद रहता है। गूदा चरपराहट वाला होता है । ये 50-55 दिन में तैयार हो जाती है । उपज 200 कु. प्रति हैक्टर में निकलते है।