मकर संक्रांति पर लगता है मेला ,हथिया बाबा का यह धार्मिक स्थल श्रद्धालुओं के लिए बना आस्था का केंद, जानिए इससे जुड़ी प्रथा, जिला बोकारो के बेरमो प्रखंड के पिछरी गांव के दामोदर तट झारखण्ड में स्थित हथिया बाबा धाम रहस्यमई धार्मिक पूजा मंदिर में से एक है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा अर्चना करने लिए पहुंचते हैं. यहां हर साल वर्ष मकर संक्रांति के दिन भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. यहां श्रद्धालु नदी पर स्थित हाथी रूपी विशाल आकार के पत्थर हथिया बाबा की पूजा अर्चना करते हैं.
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बकरा के बलि पूजा के बाद देने की प्रथा है
हथिया बाबा धाम के लोग बाबा के पास मनोकामनाएं लेकर लोग आते हैं. बाबा उनकी इच्छा को पूरा करते है. प्राचीन काल से ही उनके पूर्वजों द्वारा हथिया बाबा धाम कि पूजा अर्चना करने आ रहे हैं. वहीं मकर संक्रांति के दिन यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है. यहां पर विधि पूर्वक फल फूल चढ़ाया बकरा के बलि दी जाती है। हथिया बाबा का यह धार्मिक स्थल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद बना हुआ है। बकरा की बलि देने की प्रथा भी बहुत मसूर है।
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यहां पूजा अवश्य करे ,बारात हो गई पत्थर
वहीं मंदिर की कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में राजा अपने पुत्र की बारात लेकर दामोदर नदी के पास पहुंचा था, लेकिन उस वक्त नदी का जलस्तर काफी बड़ा हुआ था तभी राजा ने नदी के जल स्तर को कम करने को लेकर ईश्वर से प्रार्थना कि और वचन दिया की नदी पार करके वे पूजा पाठ के साथ भोग लगायगे ,आप इस मुश्किल घडी नमे हमारी मदद करो।
बकरे की बलि देने से होती है मनोकामनाएं पूर्ण
अचानक ही नदी का जलस्तर कम हो गया. राजा ने सफलता पूर्वक नदी पार कर अपनी बेटे की शादी की,और सब कम पुरे होने के बाद राजा बारात लौटने के दौरान अपने वचन को भूल गया, जिसके बाद राजा समेत पूरी बारात दूल्हा दुल्हन पत्थर में बदल गए,फिर वहाँ लोग ने पूरे आस्था के साथ पूजा अर्चना दी.तब से ही ये प्रथा यहाँ काली आ रही है हथिया बाबा धाम प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर यहां वनदेवी और हनुमान जी के मंदिर भी है. इसके अलावा यहां पूरे साल श्रद्धालु मान्यता अनुसार नदी में स्नान कर हथिया बाबा की पूजा अर्चना करने के लिए आते रहते है पूजा अर्चना करने के बाद लोग बकरे की बलि भी देते है जिससे सभी कि मनोकामनाएं पूर्ण होती है।