साल में एक ही बार होते है इस अद्भुत शिवलिंग के दर्शन, यहाँ के कुंड में नहाने से होते हैं शारीरिक-मानसिक रोग दूर, मध्य प्रदेश में कई ऐतिहासिक, धार्मिक जगह हैं, जो आज भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है हमारे मध्य प्रदेश में ऐसा ही एक स्थान खरगोन मे स्थित है जो कि रहस्यो से भरा हुआ है यह खरगोन से महज 27 km दूर सतपुड़ा के जंगल में भगवानपुरा तहसील के भाग्यपुरा गांव के नन्हेश्वर धाम में मौजूद है
मध्य प्रदेश में कई ऐसे रहस्य मई जगह है जो कम ही लोगो को पता है ऐसा ही एक स्थान है जो खरगोन से महज 27 km दूर सतपुड़ा के जंगल में भगवानपुरा तहसील के भाग्यपुरा गांव के नन्हेश्वर धाम में आता है यहां एक दुर्लभ शिवलिंग है, जो हाटकेश्वर महादेव के नाम से प्रचलित है. यह शिवलिंग 7 फीट गहरे कुंड में हमेशा जलमग्न रहता है. साल में सिर्फ एक दिन भक्त शिवलिंग के दर्शन और पूजा कर पाते हैं वो भी तब,कुंड का पानी खाली किया जाए. कुंड का पानी पंप की मदद से बाहर निकाला जाता है हैरान करने वाली बात यह है कि जैसे ही मोटर बंद करते है वैसे ही शिवलिंग पुनः जल मे डूब जाता है, भक्त इसे भगवान का चमत्कार मानते हैं और इसे देखने दूर दूर से आते है.
ये भी पढ़े- 90% की सब्सिडी के साथ शुरू करे बकरी पालन का व्यवसाय, होगी लाखो रूपए की कमाई
जानिए इस शिवलिंग की मान्यता
यह शिवलिंग पारद का शिवलिंग है जो कि एक असाधारण शिवलिंग, मान्यता है पारद भगवान शिव को अति प्रिय है. स्थापना को लेकर किवदंती है कि महा ऋषि मार्कण्डेय ने यह शिवलिंग यहां स्थापित किया है और इसी जगह 21 कल्प के बाद भगवान शिव से वरदान पाया था महा ऋषि मार्कण्डेय अमरत्व प्राप्त दिव्या पुरुष है लगभग 27 पहले तक इस शिवलिंग के बारे में किसी को भी जानकारी नहीं थी.जब निवासी संत हरी ओम बाबा को आभास हुआ और उन्होंने खुदाई करवाई. तब उस कुंड मे मिट्टी और दलदल में दबे दुर्लभ पारद शिवलिंग के दर्शन हुए, लेकिन जैसे ही कुंड से मिट्टी बाहर हुई शिवलिंग वापस पानी में समाहित हो गए.
यहाँ लगता है बहुत बड़ा मेला
इस धार्मिक स्थल पर पिछले 10 साल से महाशिवरात्रि पर यहां पांच दिनों का मेला लगता है। महाशिवरात्रि पर्व पर बीजागढ़ स्थित भगवान भोलेनाथ के दर्शन-पूजन के लिए गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।वैसे बीजागढ़ से 20 किलोमीटर दूर ही नागलवाड़ी का नाग देवता का शिखर मंदिर भी है जो सतपुड़ा पहाड़ियों में ही है वह भी एक ऐतिहासिक, धार्मिक जगह है साथ ही सतपुड़ा की पर्वत श्रृंखलाओं के बीच यहां सात तालाब स्थित हैं, जो सेलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है
इस दिन हुए थे पहली बार दर्शन
संत हरी ओम बाबा बताते है शिवलिंग के प्रथम दर्शन 7 जनवरी को हुए थे, इसलिए तब से लेकर आज तक प्रति वर्ष 7 जनवरी को शिवलिंग दर्शन हेतु कुंड से पानी खाली किया जाता है, ताकि भक्त दर्शन और पूजन कर पाएं. रात्रि की आरती तक 12 घंटे के लिए शिवलिंग जल से बाहर रहते हैं. मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों से हजारों की संख्या में भक्तजन दर्शन लाभ लेने के लिए नन्हेश्वर धाम आतें है
चमत्कारी है कुंड
निवासी संत हरी ओम बाबा ने बताया कि इस दिन शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक होता है यहाँ इस निरंतर भक्त दर्शन करते रहते हैं. इसके लिए प्रातः काल से देर रात्रि तक लगातार मोटर पंप शुरू रहता है इंजन की मदद से कुंड का पानी लगातार खाली किया जाता है.शिवलिंग के अलाव यहां एक प्राचीन कुंड भी है यहाँ लोगो की ऐसी मान्यता है कि इस कुंड मे नहाने से शारीरिक और मानसिक रोग दूर होते हैं. भक्त कुंड को चमत्कारी मानते है जानकारी के लिए बता दे जब यह सन् 1933 में हाटकेश्वर महादेव का यह मंदिर भी खंडहर में तब्दील हो गया था तब राजस्थान के लाल पत्थरों द्वारा जनसहगोग से धीरे-धीरे पुनः निर्मित किया गया है