Sanatan Dharma Science: हमारे पूर्वजों द्वारा बनाई गई परंपराएं, इन सनातन मान्यताओं के पीछे है विज्ञान जानिए हमारे साथ

Written by News Desk

Published on:

Sanatan Dharma Science: हमारे पूर्वजों द्वारा बनाई गई परंपराएं, इन सनातन मान्यताओं के पीछे है विज्ञान जानिए हमारे साथ, भारत में बड़ी आबादी सनातन धर्म को मानने वाली है. इनकी अपनी कई मान्यताएं और परंपराएं है. कई लोग इन्हें कोई अंधविश्वास कहते हैं. लेकिन, इनके पीछे विज्ञान के बड़े कारण होते हैं. आज हम आपको इन्ही के करने बारे जानकारी दे रहे है आइये जानते है। हिंदू धर्म को मानने वाले लोग कई परंपराओं और मान्यताओं में बंधे हुए है,जिनके पीछे वैज्ञानिक कारण है, लेकिन कई बार लोग इन्हें टोटके और अंधविश्वास कह देते हैं.

सनातन मान्यताओं के पीछे का विज्ञान

बहुत से लोग रात में नाखून न काटने, जमीन पर बैठकर खाना खाने के साथ ही मंदिर में घंटे के बजने के पीछे के कारण को नहीं जानते. इनके पीछे हमारे पूर्वजों ने खुद इन बातों का बुरा या अच्छा प्रभाव देखा है। तब जाकर ये परंपराएं बनी है.आइए इन्हीं में से कुछ परंपराओं के बारे में बताते है

जानें कुछ परंपराएं

ये भी पढ़े- बजट स्मार्टफोन खरीदने वालो के लिए बेस्ट होगा Poco का ये सस्ता सुन्दर स्मार्टफोन, जाने फीचर्स और सस्ती कीमत

एक गोत्र में विवाह क्यों नहीं

डिस्कवरी चैनल के बीमारियों से संबंधित एक कार्यक्रम में एक वैज्ञानिक ने कहा कि जैनेटिक (अनुवांशिक) बीमारी न हो इसका एक ही इलाज है ‘सैपरेशन ऑफ जींस’। अर्थात अपने निकटतम रिश्तेदारों में विवाह नहीं करना चाहिए क्योंकि नजदीकी रिश्तेदारों में जींस सैपरेट (विभाजित) नहीं हो पाते है और जींस लिंक्ड बीमारियां जैसे हिमोफिलिया, कलर ब्लाइंडनैस और एल्बोनिज्म होने की शत-प्रतिशत संभावना होती है। सुखद आश्चर्य का विषय यह है कि सनातन हिंदू धर्म में हजारों वर्ष पहले ‘जींस’ और ‘डी.एन.ए.’ के बारे में कैसे लिखा गया।

कान छिदवाना

भारत में लगभग सभी धर्मों में कान छिदवाने की परम्परा है। कि इससे सोचने की शक्ति बढ़ती है जबकि डाक्टरों का मानना है कि इससे बोली अच्छी होती है और कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का रक्त संचार नियंत्रित रहता है।

माथे पर कुमकुम/तिलक

महिलाएं तथा पुरुष माथे पर कुमकुम या तिलक लगाते हैं। आखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है। कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते समय जब अंगूठे या उंगली से दबाव पड़ता है तब चेहरे की त्वचा की रक्त संचार करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है। इससे चेहरे की कोशिकाओं (शेल्स) तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता है।

हाथ जोड़ कर नमस्कार करना

हमारे समाज में जब किसी से मिलते हैं तो हाथ जोड़ कर नमस्कार करते हैं।
जब सभी उंगलियों के शीर्ष एक-दूसरे के सम्पर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है तब एक्यूप्रैशर के कारण उसका सीधा प्रभाव हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है, जिससे सामने वाले व्यक्ति को हम अधिक समय तक याद रख सकें। दूसरा तर्क यह है कि हाथ मिलाने (पश्चिमी सभ्यता) के बजाय यदि आप नमस्कार करते हैं तो सामने वाले के शरीर के कीटाणु आप तक नहीं पहुंच सकते।

पीपल की पूजा

अधिकतर लोग सोचते हैं कि पीपल की पूजा करने से भूत-प्रेत दूर भागते हैं।
वैज्ञानिक कारण : इसकी पूजा इसलिए की जाती है ताकि इस पेड़ के प्रति लोगों में श्रद्धा बढ़े और उसे काटे नहीं। पीपल ही एकमात्र ऐसा पेड़ है जो रात में भी ऑक्सीजन प्रधान करता है।

ये भी पढ़े- Indian Police Force: रोहित शेट्टी की कॉप यूनिवर्स में दमदार एंट्री: शिल्पा शेट्टी, विवेक ओबेरॉय और सिद्धार्थ मल्होत्रा की ‘इंडियन पुलिस फोर्स’ का टीजर रिलीज

रात में नाखून न काटना

आपको भी हमेशा बड़ो ने रात में नाखून काटने से रोका होगा. इसके पीछे उन्होंने भाग्य को कारण बताया होगा. इसका लॉजिक ये है कि पहले के जमाने में रात के समय प्रकाश की व्यवस्था नहीं होती थी. ऐसे में आपके चोटिल होने का खतरा बढ़ जाता है. इसके साथ ही रात में इलाज जुटाना भी थोड़ा मिश्किल होता है.

मंदिर में घंटी बजाना

मंदिर में घंटी बजाना हिंदू धर्म के परंपरा का अभिन्न अंग है. इसके पीछे साइंस का लॉजिक है कि मंदिर में लगी तांबे या पीतल की घंटी बजाने से निकलने वाली ध्वनि आसपास के सूक्ष्म बैक्टीरिया का खत्म कर देते है. इससे शरीर की 7 इंद्रियां एक्टिव हो जाती हैं.

घर से दही खाकर निकलना

घर के बड़े घर से निकलने से पहले हमें दही खिलाते हैं और कहते हैं कि इससे काम शुभ और अच्छा होगा. इसके पीछे ये दही चीनी खाकर निकलने से पेट ठंडा रहता है और दही चीनी से शरीर में ग्लूकोज बनाए रखने में मदद मिलती है. ऐसे में रास्ते में आपकी तबीयत नहीं बिगड़ती.

ग्रहण में घर से बाहर नहीं निकलना

कभी न कभी आपको भी लोगों ने ग्रहण के समय घर से निकलने से रोका होगा. ऐसा इसलिए की ग्रहण के दौरान घर से बाहर निकलने पर सूर्य की रोशनी से त्वचा रोग हो सकते हैं और ग्रहण को देखने से आंखों को भी नुकसान हो सकता है.

Related Post

Leave a Comment