Devi Ahilya: भगवान राम ने माता अहिल्या को एक अभिशाप से मुक्ति दिलाई थी जिस कारण वो सालो से पत्थर बनी हुई थी चलिए जानते है माता अहिला कौन थी और उन्हें किस कारण यह श्राप मिला और वो कौन थे जिन्होंने यह श्राप दिया। धार्मिक कथाओ अनुसार अहिल्या के बारे में बहुत सारी कथाएं प्रचलित हैं. आखिर किस श्राप की वजह से माता अहिल्या पत्थर बन गई थीं और फिर किसने उन्हें नया जीवनदान मिला.रामायण मे सुनते आ रहे है कि भगवान राम ने अहिल्या को उनके श्राप से मुक्त किया था. माता अहिल्या को यह श्राप उनके ही पति गौतम ऋषि ने दिया था, गौतम ऋषि क्रोध मे इतने अंधे हो चुके थे कि उन्होंने यह जानने की कोशिश भी नहीं की माता अहिल्या दोषी है भी या नहीं,पर जैसा ही उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ तब उन्होंने माता अहिल्या को श्राप का निवारण बताया।
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देवी अहिल्या एक बहुत ही सुंदर महिला थी
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार, देवी अहिल्या एक बहुत ही सुंदर महिला थी. देवी अहिल्या को ये वरदान था कि उनका योवन हमेसा ही बना रहेगा. अहिल्या की सुंदरता इतनी थी कि स्वर्ग की अप्सराएं रम्बा, उर्वशी सब काम लगती थीं. उनकी इस सुंदरता से देवता भी मंत्र मुग्ध थे और उन्हें पाना चाहते थे, लेकिन बिना किसी गलती के मिले श्राप के कारण देवी अहिल्या पत्थर की बन गयी और अपनी मुक्ति का इंतजार करने लगी.
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ब्रह्म देव की पुत्री थी अहिल्या
धार्मिक ग्रंथों में अहिल्या को ब्रह्माजी की मानस पुत्री भी कहा जाता है.अहिल्या बहुत ही सुंदर और रूपवती थी.और सभी गुणों से परिपूर्ण थी उनकी इसी सुंदरता से इंद्रदेव भी प्रवाभित थे और स्वर्ग के राजा इंद्र अहिल्या के साथ विवाह भी करना चाहते थें. ब्रह्मा जी ने अहिल्या के विवाह के लिए एक शर्त रखी थी जो भी शर्त पूरा करेगा वो ही अहिल्या से शादी करेगा शर्त यह थी कि जो भी तीनों लोकों की परिक्रमा सबसे पहले पूर्ण करेगा उसका विवाह अहिल्या के साथ होगा।
गौतम ऋषि और इंद्र देव के साथ अन्य देवताओं भी इस विवाह शर्त को मानते हुए तीनों लोकों की परिक्रमा शुरू की, इसी दौरान गौतम ऋषि एक गर्भवती कामधेनु गाय की परिक्रमा की. जिसके कारण वह विजय हुए क्योंकि कामधेनु गाय तीनों लोकों से भी श्रेष्ठ है.और फिर ब्रह्मा जी ने पुत्री अहिल्या का विवाह गौतम ऋषि से करवाया तब से इंद्रदेव ब्रह्मा जी से नाराज थे.
अहिल्या ऐसे हुई श्राप मुक्त
धार्मिक कथा रामायण के अनुसार,देवराज इंद्र माता अहिल्या की सुंदरता से बहुत प्रवाभित थे तो उन्होंने एक युक्ति लगाई और समय से [पहले ही भोर कर दी यह जानकर की सुबह हो गयी है गौतम ऋषि पूजा करने वन चले गए अब कुटिया मे केवल माता अहिल्या थी तभी उस समय देवराज इंद्र गौतम ऋषि का रूप धारण कर माता अहिल्या के पास आ गए. ठीक उसी समय अभी सुबह नहीं हुई करके गौतम ऋषि वापस घर आये तो यह सब देख कर क्रोधित हर और उन्होंने बिना सच जाने माता अहिल्या को पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया. गौतम ऋषि के श्राप के कारण अहिल्या पत्थर बन गई और अपनी गलती का एहसास होने पर गौतम ऋषि ने यह भी कहा कि कोई दिव्यपुरुष होगा जिसके छूने से तुम्हे मुक्ति मिलेगी तब से पत्थर बनी माता अहिल्या भगवन राम का इंतजार करने लगी,
रामायण काल में जब राम और लक्ष्मण वन विहार करते समय गौतम ऋषि के आश्रम के समीप पहुंचे, तब श्री राम जी के चरण लगते ही पत्थर बनी अहिल्या फिर से अपने इंसानी रूप में आ गई और अपने श्राप से मुक्ति पाई.